Thursday, November 1, 2018

Income tax

कितनी आमदनी पर कितना टैक्स?
सरकार हर किसी से एक ही हिसाब से Tax नहीं लेती है। लोगों की कम-ज्यादा कमाई के अनुसार ही tax rate भी कम-ज्यादा होता है। बहुत कम आय वाले लोगों पर बिल्कुलTax नहीं लगता। कुछ रोजमर्रा के खर्चों को भी Tax से बाहर रखा गया है। इसके अलावा कुछ Social व National Security से जुड़े मदों में निवेशों को भी निश्चत सीमा तक Tax Deductions का लाभ दिया गया है।  तो आइए अब उन तथ्यों को समझते हैं, जिनसे हम पर टैक्स की देनदारी तय होती है। इसकी शुरुआत करते हैं Tax Slab Rate से।

कुल Income का वो दायरा जिससे Tax का Rate तय होता है उसे इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) कहा जाता है। इसे आसानी से समझने के लिए हम वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए जारी Income Tax Slab Rate देखते हैं।

Income Tax Slab Rate (2018-19) for Individual Below 60)
Income Tax Slab  (वार्षिक आय पर आधारित) Tax Rate
2.5 लाख रुपए से कम Income पर कोई टैक्स नहीं
2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक Income पर 5%
5 लाख से 10 लाख रुपए तक Income पर 20%
10 लाख रुपए से अधिक तक Income पर 30%
Standard Deduction
नौकरी पेशा लोगों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलता है। ये लोग अपनी आमदनी से 40000 रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन घटाकर टैक्स की गणना कर सकते  हैं।

Surcharge

Income Tax का 10% (कुल Income  50 लाख से 1 करोड़ रुपए होने पर)
Income Tax का 15% ( कुल Income 1 करोड़ रुपए से से अधिक होने पर)
Educational Cess: कुल ‘इनकम टैक्स+सरचार्ज’ का 3%
इस Table में हम देखते हैं कि Financial Year 2018-19 के दौरान अगर आपकी Income सालाना 2.5 लाख रुपए तक हुई तो  कोई Tax नहीं देना पड़ेगा। इसके बाद जिनकी Income ढाई से पांच लाख रुपए के बीच होगी उन्हें अपने Income Tax Slab के अनुसार 5 % Tax देना पड़ेगा। इसके बाद पांच से दस लाख रुपए Income  होने पर 20 % और 10 लाख से ऊपर कIncome होने पर 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैसे-जैसे Income का स्लैब बढ़ता जाता है, इनकम टैक्स का Rate भी बढ़ता जाता है।

ये तो रहा सामान्य लोगों के लिए Income Tax Slab Rate। इसी प्रकार Senior Citizen (60से 80 वर्ष ), Super Senior Citizen (80 वर्ष से ऊपर), Business Firm, सहकारी संस्थाओं, संगठनों, देशी कंपनियों, विदेशी कंपनियों आदि के लिए अलग-अलग Income Tax Slab Rate बजट के दौरान जारी किए जाते हैं।

सरचार्ज Surcharge
बहुत ऊंची Income वाले करदाता जो Income Tax भरते हैं, उन्हें Surcharge भी जमा करना पड़ता है। ध्यान रहे, Surcharge आपकी कमाई पर नहीं, सिर्फ आप की Income पर बन रहे Tax पर लगता है।

सामान्य करदाताओं पर सरचार्ज
वित्तीय वर्ष 2017-18 में 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए के बीच Income Tax योग्य आमदनी होने पर 10 प्रतिशत Surcharge तय किया गया है।
1 करोड़ रुपए से ज्यादा Income Tax योग्य आमदनी होने पर 15 प्रतिशत की दर से Surcharge देना पड़ता है। इसके पहले के वित्तीय वर्ष 2016-17 में सिर्फ 1 करोड़ रुपए से ज्यादा Income पर ही Surchargeलगता रहा है।
कंपनियों पर सरचार्ज
1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए सालाना तक Income वाली घरेलू यानी देशी कंपनियों के लिए Income Tax  का 7 प्रतिशत
10 करोड़ रुपए सालाना से अधिक Income वाली घरेलू कंपनियों के लिए Income Tax का 12 प्रतिशत।
1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए सालाना तक  Income वाली विदेशी कंपनियों के लिए Income Tax का 2 प्रतिशत
10 करोड़ रुपए सालाना से अधिक आमदनी वाली घरेलू कंपनियों के लिए इनकम टैक्स का 5 प्रतिशत।
सरचार्ज और सेस कैलकुलेशन के बारे में और पढ़ें

एजुकेशनल सेस| Eucational Cess
Education Cess सभी करदाताओं पर लगाया जाता है। यह आपके ऊपर बन रहे कुल Income Tax और Surcharge के कुल योग पर लगता है। इस रकम का कुल 3 प्रतिशत आपसे Education Cess के रूप में लिया जाता है। यह मूल रूप से दो हिस्सों में आप पर लगता है 2% Education Cess और 1% Senior and Higher Education Cess। Tax Calculation के दौरान दोनों Cess अलग-अलग जोड़े जाते हैं, न कि एक साथ। हालांकि इसके कारण Total Cess में किसी तरह का अंतर नहीं आता।

इनकम टैक्स पर छूट और कटौतियां| Tax Exemption & Tax Deduction

ऊपर दिखाए Tax Slab Rate के अनुसार, अगर हमारी कमाई 2.5 लाख रुपए सालाना से अधिक है तो हमें अतिरिक्त आय पर Tax अदा करना पड़ेगा। Generally ऐसा होता नहीं है। क्योंकि Government बहुत से मदों पर हुए खर्च को आपकी Income मानती हीं नहीं। इसलिए इन पर Tax का सवाल ही नहीं उठता। इस श्रेणी की कमाई पर आपको Tax Exemption  मिलता है। इसी प्रकार बहुत से Investment ऐसे होते हैं, जिन पर पूरी या आंशिक तौर पर Tax छूट दी जाती है। टैक्स भरने में इस तरह की छूट Tax Deduction के अंतर्गत आती है। इनकम टैक्स बचाने के तरीकों  की संक्षिप्त जानकारी हम यहां दे रहे हैं।

एचआरए यानी किराए पर आवास के लिए भत्ता| House Rent Allowance under Section 10 (13A)
Salaried लोगों के लिए मकान किराया भत्ता या HRA Tax छूट पाने का सबसे आसान जरिया है। अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो उस पर लगने वाले किराया के एक निर्धारित हिस्से पर आपको Tax भरने से छूट मिलती है। यह Tax छूट वाली रकम क्या होगी यह इन तीन स्थितियों की तुलना करने पर निकाली जाएगी।

साल भर में दिया गया किराया- Basic Salary+ महंगाई भत्ता का 10 प्रतिशत
HRA के रूप में आपको कंपनी से मिलने वाली रकम
आपकी Basic  Salary का 40 व महंगाई भत्ता (मेट्रो सिटी में रहने वालों के लिए बेसिक सेलरी का 50 प्रतिशत और महंगाई भत्ता)
इन तीनों Option में जो भी सबसे कम होगा, उतनी रकम पर आप Income Tax  में छूट के लिए Claim कर सकते है।

इसी प्रकार Transport Allowance में भी आप Tax से छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह वह Allowance होता है जो Company या Employer द्वारा अपने कर्मचारी को उसके आवास से Office/site पर आने और जाने के लिए दिया जाता है। Financial ear 2015-16 से सरकार ने Tax छूट के लिए Transport Allowance की सीमा 1600 रुपए Per Month या 19200 रुपए Per Year निर्धारित की है।

सेक्शन 80 सी के अंतर्गत टैक्स कटौतियां | Deductions under Section 80C
सामाजिक सुरक्षा से जुडे आपके कई Investment और Saving इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C (Section 80C)  के तहत टैक्स कटौती के अंतर्गत आते हैं। जैसे

Employees’ Provident Fund (EPF), Public Provident Fund (PPF), Sukanya Samriddhi Yojana, National Savings Certificate और tax-saving fixed deposits आदि। इनके माध्यम से की गई बचतों पर Section 80C  के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है।
इसी प्रकार Life Insurance Premium , नेशनल पेंशन स्कीम और Tax Saving Mutual Funds (ELSS) आदि में जमा आपकी कुल 1.5 लाख रुपए तक की रकम टैक्स छूट की हकदार होती है।
दो बच्चों की पढ़ाई में Tution Fee का हिस्सा, Home Loan की किस्त में शामिल मूलधन का हिस्सा, घर की खरीद में जो आप Stamp Duty और Registration Charge अदा करते हैं, इन सब पर भी आप Section 80C के तहत टैक्स से छूट के लिए Claim कर सकते हैं।
नेशनल पेंशन स्कीम में जमा रकम| Deductions under Section 80CCD(1B)
National Pension Scheme के टियर 1 एकाउंट में जमा की गई 50 हजार रुपए तक की रकम पर आपको Tax छूट का लाभ मिलता है। यह छूट Section 80C के तहत निवेश के अलावा होती है। यह छूट सभी Tax Slab के अंतर्गत आने वाले TaxPayers को मिल सकती है।

होम लोन के ब्याज परटैक्स छूट| Deduction under Section 24B
आपने घर बनाने के लिए अगर बैंक से Loan लिया है तो इसके 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर आपको Section 24B के तहत Tax भरने से छूट मिलती है। इसी प्रकार home improvement loan के रूप में लिए गए 30 हजार रुपए तक की रकम पर भी Tax से छूट मिलती है।

पहली बार घर खरीदने पर टैक्स छूट| Deduction under Section 80EE
अगर आपने Home loan लेकर पहली बार घर खरीदा है तो 50 हजार रुपए की और रकम पर आप Section 80EE के तहत Tax से छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह छूट Section 24B के तहत दो लाख रुपए तक के ब्याज पर Tax छूट से अलग होगी। बशर्ते Loan मंजूर होने की तिथि तक आवेदक के पास खुद की कोई residential property न हो। इस Rule का फायदा लेने के लिए जरूरी है कि खरीदा गया घर 50 लाख रुपए से ज्यादा का न हो और उसके लिए लिया गया लोन 35 लाख रुपए से ज्यादा का न हो। साथ ही वह Property 1 अप्रैल 2016 के बाद खरीदी गई हो।

मेडिकल या हेल्थ इंश्योरेंस| Deduction under Section 80D
आप खुद पर, पति पत्नी, बच्चों और माता-पिता या अभिभावक का Health Insurance करवाते हैं तो इसके लिए जो Premium आप जमा करते हैं, उस पर Section 80D के तहत टैक्स छूट मिलती है।
General Taxpayer अपनी पत्नी बच्चों ओर खुद के लिए सालाना 25 हजार रुपए तक के Premium पर यह छूट पा सकता है। Senior Citizen के लिए यह छूट 30 हजार रुपए तक के Premium पर मिलती है।
Parents या अभिभावकों का Health Insurance करवाने पर अलग से 25 हजार रुपए तक के सालाना प्रीमियम पर टैक्स भरने की छूट मिलती है। माता-पिता की उम्र 60 वर्ष से ज्यादा हो तो यह छूट भी बढ़कर 30 हजार रुपए सालाना प्रीमियम पर लागू होती है।
विकलांग आश्रित की देखभाल पर टैक्स छूट| Deduction under Section 80DD
अगर आपके Parent, पति या पत्नी, बच्चे या पाल्य किसी विकलांगता के शिकार हैं जो उनकी देखभाल और इलाज आदि पर खर्च की गई 75 हजार रुपए तक की रकम Section 80DD के तहत टैक्स छूट की हकदार होती है। गंभीर विकलांगता की स्थिति में यह छूट 1.25 लाख रुपए तक की रकम पर मिल सकती है।

गंभीर बीमारी से ग्रस्त आश्रित के उपचार पर खर्च| Deduction under Section 80DDB
अगर आप खुद या आपके आश्रित परिवार में किसी को AIDS, Cancer, Perkinson जैसी गंभीर रूप से खतरनाक बीमारी हो जाती है तो इनके Treatment पर आने वाला 40 हजार रुपए तक का खर्च Tax छूट के अंतर्गत आता है। अगर Taxpayer 60 वर्ष के ऊपर है तो उसे यह छूट 60 हजार रुपए तक के खर्च पर ले सकता है। अगर वह 80 वर्ष से ज्यादा उम्र का है तो उसे इस मद में 80 हजार रुपए तक के खर्च पर यह छूट मिल सकती है।

एजुकेशन लोन पर टैक्स छूट| Deduction under Section 80E
अगर आपने खुद के लिए, अपने पति या पत्नी के लिए Education Loan लिया है तो इस पर ब्याज की रकम पर आप Section 80E के तहत टैक्स से छू प्राप्त कर सकते हैं। यह रकम किसी भी सीमा तक हो सकती है और देश या विदेश में कही भी Study लिए ली जा सकती है। शर्त यह है कि लोन full-time higher education के लिए लिया गया हो और किसी वित्तीय संस्थान या approved charitable institution से लिया गया हो।

इनकम टैक्स का भुगतान कैसे करते हैं? How to Pay Income Tax
इनकम टैक्स पेमेंट तीन तरीकों से किया जाता है। टीडीएस, एडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स के रूप में । तीनों का संक्षिप्त विवरण यहां दिया जा रहा है।

टीडीएस| TDS
अगर आप Salaried हैं तो आपकी Salary से हर महीने उनका Employer टीडीएस के रूप में टैक्स काट लेता है। चूंकि यह आपकी Income के स्रोत से सीधे काट लिया जाता है इसलिए इसे Tax Deduction at Source यानी TDS कहा जाता है। दरअसल Employer को हर तिमाही पर सरकार के पास ये Tax जमा करना होता है, लेकिन Taxpayer पर एक साथ किसी महीने में ज्यादा बोझ न पड़े, इसलिए Employer उससे हर महीने यह Tax काटता चलता है।

इसे भी पढ़ें: सैलरी, ब्याज और किराए पर टीडीएस की दरें

एडवांस टैक्स|Advance Tax
Salary के अलावा जिनकी अन्य स्रोतों से Income पर सालाना टैक्स 10 हजार रुपए से ज्यादा बनता है, उन्हें भी हर तिमाही पर कुल Tax का तय हिस्सा जमा कर देना पड़ता है।  इसे एडवांस टैक्स (Advance Tax) कहा जाता है। Advance Tax  का कितना हिस्सा, किस समय सीमा के अंदर जमा कर देना होता है, इसकी जानकारी हम यहां दे रहे हैं।
15 June से पहले –             Advance Tax के 15 प्रतिशत तक
15 September से पहले –   Advance Tax के 45 प्रतिशत तक
15 December से पहले –   Advance Tax के 75 प्रतिशत तक
15 March से पहले –           Advance Tax का 100 प्रतिशत

सेल्फ असेसमेंट टैक्स| Self Assesment Tax
Income Tax Return दाखिल करने के दौरान आपको लगता है कि Advance Tax, TDS और TCS आदि के माध्यम से जमा की गई रकम के अलावा भी कुछ रकम आप पर Tax देनदारी के रूप में बच रही है तो इसे आप Self Assessment Tax व्यवस्था के तहत जमा करते हैं। इसे Income Tax Return भरने के पहले जमा कर देना जरूरी होता है।

Note: इन तीनों तरीकों के अलावा भी आपकी Income और जमा किए गए Tax में विसंगति के कारण Income Tax Department की तरफ से टैक्स देनदारी का Notice भी भेजा जा सकता है। उसको भी निर्धारित Charge के साथ जमा करना होता है।

Income Tax Return| इनकम टैक्स का रिटर्न
जो टैक्स आपने Government के पास जमा किया है उसके बारे में सरकार को सूचना Income Tax Return के रूप में आप देते हैं। इस Form में आप दर्शाते हैं कि पिछले Financial Year के दौरान कहां से कितनी-कितनी Income  हुई और उस Income पर आपने कितना Tax जमा किया है। हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में पिछले वर्ष की Income के लिए Income Tax Return भरा जाता है। सामान्य व्यक्तियों के लिए 31 July तक और व्यवसायियों के लिए 31 September तक टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी होता है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने (CBDT) ने ऐसे सभी व्यक्तियों या परिवारों को Online Income Tax Return दाखिल करना अनिवार्य कर दिया है, जिनकी Income सालाना 5 लाख रुपए से अधिक है।
फिलहाल अलग-अलग Category की कमाई के मुताबिक  कुल सात प्रकार के Return Form सरकार ने तय किए हैं, जिन पर आपको Tax Payments का लेखा-जोखा भरकर भेजना होता है।
Gneral Taxpayers के लिए इनकम टैक्स भरने की Process आसान करने के लिए विभाग ने अब मात्र एक पेज का ITR Form-1 (Sahaj) पेश किया है। ऐसे Taxpayers जिनकी आमदनी सालाना 50 लाख रुपए से कम है और रहने के लिए महज एक घर है, वे इसका उपयोग कर अपना Return दाखिल कर सकते हैं। इसके अलावा ITR-2, ITR-2A and ITR-3 को एक साथ मर्ज करके केवल ITR-2 के रूप में कर दिया गया है। ITR-4 and ITR-4S (Sugam) को अब क्रमश: ITR-3 and ITR-4 (Sugam) का नाम दे दिया गया है।
इनकम टैक्स संबंधी प्रमुख फॉर्म
Form 26AS
इसमें आपकी ओर से अलग-अलग समय पर जो Tax सरकार के पास जमा होता जाता है उसका पूरा Record दर्ज रहता है। आपके द्वारा जमा की गई Advance Tax की किस्तें और Self Asssesment Tax के अलावा आपके Employer द्वारा जमा किया गया TDS का ब्योरा भी इसमें रहता है। Income Tax Return भरने के दौरान इन Details की जरूरत पड़ती है।

Form 16
अगर आप Salaried हैं तो आपके Employer  ने TDs के माध्यम से कितना Tax काटा है, आपके EPF में कितना पैसा कट रहा है, आपको कौन-कौन से Tax Allowance कंपनी की ओर से दिए जा रहे हैं, इन सबकी जानकारी Form 16 में मौजूद रहती है। Income Tax Return भरने के दौरान आपको इसकी जरूरत पड़ती है।

Form 16A
ये भी फॉर्म 16 की तरह ही होता है, लेकिन इसे आपका Employer नहीं जारी करता। जब आपके FD या एफडियों पर मिलने वाली ब्याज की रकम सालाना 10 हजार रुपए से ज्यादा होती है तो बैंक भी आपकी Income  पर TDS काटता है। इसका Record वह Form 16A के रूप में आपको देता है। इसी प्रकार आपकी Freelance Services पर जो कंपनी TDS काटती है वह भी Form 16A में यह रिकॉर्ड रखती है।

इनकम टैक्स आपकी रेगुलर कमाई पर लगता है। लेकिन एक और टैक्स है जो चल-अचल संपत्ति की बिक्री पर लगता है। इस टैक्स को कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) कहा जाता है। अगर आई पर जमीन, मकान, सोना या फिर शेयर बेच रहे हैं तो कैपिटल गेन्स टैक्स का ख्याल जरूर रखिए। और हां आपको ये तो पता ही होगा कि सरकार परोक्ष तौर पर भी हम सबसे टैक्स लेती है। जीएसटी ऐसा ही टैक्स है जो वस्तुओं और सर्विस पर लगता है।

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