लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।
किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।
उदाहरण
किसी व्यवसाय में बहुत बार वस्तु खरीदा जाता है, बहुत बार विक्री होता है । खर्च भी होता रहता है आमदनी भी होता रहता है, कुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने वही में घटित घटनाओं को लिखता रहता है । यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है ।
लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में निम्नलिखित तीन को शामिल किया जाता है :
- अभिलेखन (Recording) :लेन-देन को पहली बार वही में लिखे जाने के क्रिया को अभिलेखन कहा जाता है । अभिलेखन को रोजनामचा कहते हैं अर्थात Journal भी काहा जाता है ।
- वर्गीकरण (Classification) :अभिलेखित मदों को अलग-अलग भागो में विभाजित कर लिखे जाने के क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है । वर्गीकरण को खाता (Ledger) भी कहते हैं ।
- संक्षेपण (Summarising) :वर्गीकृत मदो को एक जगह लिखे जाने के क्रिया को संक्षेपण कहा जाता है । संक्षेपण को परीक्षासूची (Trial balance) भी कहते हैं ।
आधुनिक युग में व्यवसाय के आकर में वृद्धि के साथ-साथ व्यवसाय की जटिलताओं में भी वृद्धि हुई है। व्यवसाय का संबंध अनेक ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं तथा कर्मचारियों से रहता है और इसलिए व्यावसायिक जगत में सैकड़ों, हजारों या लाखों लेन-देन हुआ करते हैं। सभी लेन-देन हुआ करते हैं। सभी लेन-देनों को मैखिक रूप से याद रखना कठिन व असम्भव है। हम व्यवसाय का लाभ जानना चाहते हैं और यह भी जानना चाहते हैं कि उसकी सम्पत्तियाँ कितनी हैं, उसकी देनदारियाँ या देयताएँ कितनी हैं, उसकी पूँजी कितनी है आदि-आदि। इन समस्त बातों की जानकारी के लिए लेखांकन की आवश्यकता पड़ती है।
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